राजस्थान के प्रमुख शिलालेख:
=> बङली का शिलालेख: बङली, अजमेर में 443 ई राज्य का प्राचीन शिलालेख जो ब्राह्मी लिपी में उत्किर्ण है
=> बङली का शिलालेख: बङली, अजमेर में 443 ई राज्य का प्राचीन शिलालेख जो ब्राह्मी लिपी में उत्किर्ण है
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घोसुंडी का शिलालेख: ब्राह्मी लिपि में संस्कृत भाषा में रचित यह अभिलेख चित्तौड़गढ़
के घोसुडी नमक स्थान पर स्थित है जिसे सर्वप्रथम डी आर भंडारकर द्वारा पढा गया था।
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घटियाला अभिलेख (861): प्रतिहार शासक कुक्कुक कर प्रकाश डालने वाले इस घटियाला जोधपुर
में स्थित अभिलेख के रचनाकार कृष्णेश्वर थे
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रणकपुर प्रशस्ति: नागरी लिपी में रचित इस अभिलेख का रचयिता देपाक था
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कीर्ति स्तम्भ प्रशस्ति (1460): इस शिलालेख में महाराणा कुंभा के लेखन पर प्रकाश डाला
गया है साथ ही कुंभा को दी गई दानगुरू,राजगुरू,शैलगुरू की उपाधियों का उल्लेख है ।
रचनकार महेश भट्ट थे ।
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कणसव शिलालेख: कणसव, कोटा में 738 ई का शिलालेख जिसमे मौर्यौं के राजस्थान संबध का
पता चलता है एवं मौर्य वंशी शासक 'धवल' का उल्लेख है
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साम्भोली अभिलेख (646): यह साम्भोली, भेमट मेवाड़ के दक्षिण में स्थित है इसमे बाहर
के लोगों के बसने स्थापत्य कला, स्थानीय भीलों आदि पर प्रकाश डालता है ।
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मंडोर शिलालेख (685): मंडोर, जोधपुर की एक बावड़ी की शीला पर उत्कीर्ण है ।
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मंडोर शिलालेख (861): मंडोर, जोधपुर के विष्णु मंदिर में स्थित है । इस शिलालेख से
प्रतिहार वंशी शाशकों के बारे में जानकारी मिलती है ।
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आहड़ शिलालेख (977): इस अभिलेख में मेवाड़ के शाशकों अल्लट, नरवाहन, शक्तिकुमार के बारे
में जानकारी मिलती है ।
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बिजोलिया (भीलवाड़ा) का शिलालेख, 1170 ई.
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चीरवा (उदयपुर) का शिलालेख, 1273 ई.
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जमवा रामगढ़ (जयपुर) प्रशस्ति, 1613 ई.
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अपराजित का शिलालेख, नागदा (मेवाड़)- 661 ई.
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बडवा स्तम्भ लेख, बडवा, अंता (बारां)- 238-239
ई.
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बिचपुरिया यूप स्तम्भ लेख,बिचपुरिया मंदिर, उनियारा टौंक- 274 ई.
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गंगधार का लेख, गंगधार (झालावाड़)- 423 ई.
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रसिया जी की छमी का शिलालेख 1274 ई.
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आबू का अचलेश्वर का शिलालेख, 1285 ई.
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समिधेश्वर (चित्तौड़गढ़) के मंदिर का शिलालेख, 1428 ई.
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दिलवाड़ा (आबू) का शिलालेख, 1434 ई.
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भ्रामर माता का लेख, छोटी सादड़ी (प्रतापगढ़)- 490 ई.
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