- केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 26 फ़रवरी को संसद में वर्ष 2015-16 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। 29 फ़रवरी केआम बजट से पहले आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया।
- अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक माहौल में निराशा के बीच भारत स्थायित्व के केन्द्र के रूप में खड़ा है 2015-16 में जीडीपी विकास दर का दायरा 7 से 7.75 रहने की उम्मीद है
- संसद में पेश की गई आर्थिक समीक्षा 2015-16 के मुताबिक वर्ष 2015-16 में इसके सकल मूल्यवर्धन की वृद्धि में सेवा क्षेत्र का योगदान लगभग 66.1 प्रतिशत रहा
- आर्थिक समीक्षा 2015-16 के अनुसार वर्ष 2015-16 के लिए 3.9 प्रतिशत का राजकोषीय घाटा लक्ष्य अर्जित किया जाना संभव है। यह आकलन अनुमानित जीडीपी वृद्धि दर से निम्न वृद्धि दर हासिल किये जाने से पेश होने वाली चुनौतियों के बावजूद चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों के राजस्व एवं व्यय की पद्धति पर आधारित है।
- 2015-16 के बजट आकलनों के अनुसार, जीडीपी के समानुपात के रूप में कुल सब्सिडी बिल के जीडीपी के 2 प्रतिशत से कम रहने की उम्मीद है। बड़ी सब्सिडियों में 1.7 प्रतिशत की गिरावट की वजह अप्रैल-दिसंबर 2015 के दौरान पेट्रोलियम सब्सिडी में लगभग 44.7 प्रतिशत की कमी थी, जबकि इस अवधि के दौरान खाद्य एवं उर्वरक पर अन्य बड़ी सब्सिडियों में क्रमशः 10.4 प्रतिशत एवं 13.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
- चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में सकल कर राजस्व में मजबूत वृद्धि को अप्रत्यक्ष करों में 34.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी से मदद मिली, जबकि केन्द्रीय उत्पाद शुल्कों में लगभग 68 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
- आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि वित्तीय दृष्टिकोण से आगामी वर्ष के चुनौतीपूर्ण रहने के आसार है। वैश्विक मंदी के जारी रहने की आशंका के कारण 2016-17 में भारत की विकास दर के 2015-16 के स्तर से बहुत अधिक रहने की अधिक संभावना नहीं है। इसके अतिरिक्त वेतन आयोग की अनुशंसाओं और वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) योजना के क्रियान्वयन से व्यय पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
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