जयपुर, 19 फरवरी। राज्य विधानसभा ने बुधवार को विधानसभा में राजस्थान माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2020 ध्वनिमत से पारित कर दिया है। संसदीय कार्य मंत्री श्री शांति कुमार धारीवाल ने सदन में विधेयक प्रस्तुत किया। उन्होंने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए बताया कि संसद द्वारा जीएसटी में किए गए संशोधन ही इस विधेयक के जरिये किए गए हैं। विशेष परिस्थितियों एवं तात्कालिक जरूरत के मध्यनजर गत 28 दिसम्बर को इस संबंध में अध्यादेश लाया गया था। उन्होंने बताया कि इसमें किसी सेवा को जोड़ने एवं अपील का अधिकार जीएसटी परिषद् को ही है। राज्य सरकार केवल सुझाव दे सकती है। उन्होंने कहा कि यदि केन्द्र सरकार हड़बड़ी में जीएसटी लागू नहीं करती तो इतनी गड़बड़ियां नहीं होती जिन्हें बार-बार ठीक करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि पहले पेट्रोल-डीजल पर 3 से 4 रुपए सेस लगता था जो 2014-15 में बढ़ाकर 14 से 15 रुपए प्रति लीटर कर दिया गया। उन्होंने बताया कि इस वित्त वर्ष में केन्द्र सरकार के कर संग्रह में लक्ष्य के मुकाबले ढाई लाख करोड़ की कमी आने वाली है।
श्री धारीवाल ने बताया कि राज्य का केन्द्र सरकार के पास 2 हजार 600 करोड़ रुपए जीएसटी कंपेन्सेशन एवं 4 हजार 100 करोड़ रुपए सीएसटी का बकाया है। जीएसटी काउंसिल की 37वीं बैठक में पुरजोर तरीके से मांग उठाने पर केवल एक महीने का कंपेन्सेशन दिया गया। उन्होंने कहा कि यह बकाया मिलने पर राज्य की कल्याणकारी सरकार प्रदेश के हित में ज्यादा काम कर सकेगी। श्री धारीवाल ने कहा कि 15वें वित्त आयोग के पश्चात् राज्य को मिलने वाले कर हिस्से में नुकसान हुआ है। पहले कुल कर संग्रह का 42 फीसदी हिस्सा राज्य को मिलता था। अब कुल कर संग्रह के 85 प्रतिशत का 41 फीसदी हिस्सा ही राज्य को मिलता है। 15 फीसदी पहले ही सेस के रूप में कम हो जाता है। संसदीय कार्य मंत्री ने एंटी इवेजन की कार्यवाही का जिक्र करते हुए बताया कि गत सरकार के कार्यकाल में पांच साल के दौरान राज्य में 900 गाड़ियां पकड़कर 25 करोड़ रुपए की वसूली की गई, जबकि वर्तमान सरकार ने केवल एक साल में ही प्रभावी कार्यवाही कर 2 हजार 700 गाड़िया पकड़ी और 75 करोड़ रुपए वसूले। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017-18 के दौरान प्रदेश में कई जगह जीएसटी फ्रॉड हुए, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। हमारी सरकार ने भिवाड़ी, जोधपुर एवं कोटा में जीएसटी फ्रॉड करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की। इससे पहले सदन ने विधयेक को जनमत जानने के लिए परिचालित करने के संशोधन प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।
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