जयपुर, 18 फरवरी। राज्य विधानसभा ने मंगलवार को राजस्थान जन आधार प्राधिकरण विधेयक, 2020 ध्वनिमत से पारित कर दिया। संसदीय कार्य मंत्री श्री शांति कुमार धारीवाल ने सदन में विधेयक प्रस्तुत किया। उन्होंने विधेयक को सदन में लाने के कारणों एवं उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए बताया कि राजस्थान राज्य में निवास करने वाले व्यष्टि को सुशासन के अध्युपाय के रूप में लोक कल्याणकारी प्रसुविधाओं और सेवाओं जिनके लिए व्यय राज्य की समेकित निधि से उपगत किया जाता है, के दक्ष पारदर्शी और लक्षि्यत परिदान के लिए जन आधार आई.डी. को अभिज्ञापक के रूप में उपयोग करते हुए राजस्थान जन आधार प्राधिकरण के गठन का उपबंध करने के उदेद्श्य से मुख्यमंत्री राजस्थान ने 2019-20 के उपांतरित बजट में राजस्थान जन आधार योजना की घोषणा की थी।
राजस्थान जन आधार योजना को कानूनी संस्थागत ढ़ांचा उपलब्ध कराने की दृष्टि से यह विधेयक अन्य बातों के साथ-साथ (क) निवासियों को एक संख्याक, एक कार्ड, एक पहचान की मूल अवधारणा के साथ सरकारी सेवाओं के परिदान के लिए एक सर्वव्यापी बहुउदेद्शीय स्कीम को क्रियान्वित करना (ख) व्यष्टि निवासियों के लिए आधार को एकल अभिज्ञापक के रूप में घोषित करने हेतु विधायन का उपबंध करना (ग) इस स्कीम के क्रियान्वयन के लिए राजस्थान जन आधार प्राधिकरण का गठन करना ( घ ) ई-मित्र के विस्तृत नेटवर्क के लिए और ई-मित्र के प्रबंधन को प्राधिकरण के अधीन लाने के लिए कानूनी ढ़ांचा उपलब्ध कराना (ड) विभिन्न विभागों द्वारा क्रियान्वित समस्त प्रत्यक्ष प्रसुविधा अंतरण (डी.बी.टी.) स्कीमों को प्राधिकरण के अधीन लाना (च) ई-मित्र नेटवर्क के दक्ष प्रबंधन के माध्यम से निवासियों को घर तक प्रसुविधाओं और सेवाओं का परिदान करना (छ) ऎसी विभिन्न कल्याणकारी स्कीमें, जिनकी प्रसुविधाएं निवासियों को परिदत्त की जाती है, उनके समस्त डाटाबेसों को एकीकृत करना (ज) अंतिम छोर तक वित्तीय समावेश और संस्थागत वित्त के लिए सुविधाओं हेतु उपबंध करना (झ) ग्रामीण क्षेत्रों में ई-वाणिज्य की सुविधा का परिदान करना, उपबंध करता है।
चूंकि राजस्थान राज्य विधान सभा सत्र में नहीं थी और ऎसी परिस्थितियां विद्यमान थीं जिनके कारण राजस्थान के राज्यपाल के लिए तुरन्त कार्रवाई करना आवश्यक हो गया था। इसलिए उन्होंने 18 दिसम्बर, 2019 को राजस्थान जन आधार प्राधिकरण अध्यादेश 2019 प्रख्यापित किया जो राजस्थान राजपत्र, असाधारण, भाग 4(ख) में दिनांक 18 दिसम्बर 2019 को प्रकाशित हुआ। इससे पहले सदन ने विधेयक को जनमत जानने के लिए परिचालित करने के संशोधन प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।
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