किसान की होशियार बेटी राजस्थानी लोककथा
एक समय की बात है रामपुर गांव में बलदेव नाम का एक किसान रहता था। उसकी एक बेटी मीना थी जो बहुत सुन्दर और होशियार थी। बलदेव के खेत जमींदार के पास गिरवी थे।
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बलदेव खेतों में मेहनत करके घर का गुजारा चलाता था। उसने 3-4 महीने खेत में काम करके एक फ़सल उगाई थी। जो फ़सल अब पक कर तैयार हो चुकी थी। बलदेव ने अपनी सारी फ़सल को बेचकर पैसे कमा लिए। बलदेव फ़सल बेचकर जो भी पैसे मिलते थे उसके तीन हिस्से लगाता था।
एक हिस्सा वह घर के ख़र्च के लिए रखता था। दूसरा हिस्सा जमींदार को ब्याज़ के रूप में देता था और तीसरा हिस्सा अपनी बेटी मीना की शादी के लिए अलग से रख देता था। फ़सल बिकने पर जमींदार अपना ब्याज़ लेने बलदेव के घर पहुंच गया।
वहाँ पर उसने मीना को देखा जो की बहुत सुन्दर थी। उसके बाद वह बलदेव से अपना ब्याज़ लेकर चला गया। कुछ दिनों में बलदेव अपनी अगली फ़सल उगाने में लग गया। 3-4 महीने की मेहनत के बाद फ़सल उग गयी और कुछ दिनों के बाद उसकी कटाई होने वाली थी।
लेकिन तभी बारिश शुरू हो गयी और कुछ दिनों तक लगातार बारिश होती रही जिससे सारी फ़सल ख़राब हो गयी। इससे बलदेव और उसकी बेटी मीना बहुत दुखी हो गए। कुछ दिनों के बाद जमींदार अपना ब्याज़ लेने के लिए बलदेव के घर पर पहुंच गया।
बलदेव ने उसको बताया की अबकी बार बारिश की वजह से उसकी सारी फ़सल ख़राब हो गयी। जमींदार ने मीना की तरफ़ देखा और बलदेव से बोला यदि तुम अपनी बेटी की शादी मुझसे करा देते हो तो मै तुम्हारा सारा कर्ज माफ़ कर दूंगा। इस पर बलदेव ने आपत्ति जताई तो जमींदार ने एक तरकीब बताई की हम एक खेल खेलते है।
इसमें में एक काला और सफ़ेद पत्थर मै एक मटके के अंदर डाल दूंगा। मीना को उसमे से बिना देखे एक पत्थर को निकलना है। यदि वह काला पत्थर निकालेगी तो मीना को मुझसे शादी करनी होगी और मै तुम्हारा सारा कर्ज माफ़ कर दूंगा।
यदि वह सफ़ेद पत्थर निकालेगी तो उसको मुझसे शादी नहीं करनी पड़ेगी और मै तुम्हारा सारा कर्ज माफ़ कर दूंगा।
बलदेव को जमींदार का ब्याज़ भी देना था यदि वह उसकी बात नहीं मानता तो उसने खेल के लिए हा कर दी। जमींदार बहुत धोखेबाज़ था उसने जमीन से दोनों काले पत्थर लिए और मटके के अंदर डाल दिए। मीना ने उसको दोनों काले पत्थर मटके के अंदर डालते हुए देख लिया।
मीना बहुत होशियार थी उसने कुछ देर सोचा फिर मटके के अंदर से एक पत्थर निकाला और गिरने का बहाना बना कर जमीन में गिर गयी और उस पत्थर को बाकी सभी पत्थर में मिला दिया। जमींदार और बलदेव सोचने लगे जो पत्थर मीना ने उठाया था वह कैसे पता चलेगा तो मीना बोली इसका पता हम मटके के अंदर के पत्थर से लगा सकते है।
मटके के अंदर पत्थर देखा तो उसका रंग काला था इसका मतलब मीना ने जो पत्थर उठाया और जो हाथ से गिर गया था उसका रंग सफ़ेद था। इस तरह मीना की होशियारी से बलदेव का कर्ज भी माफ़ हो गया और मीना को जमींदार से शादी भी नहीं करनी पड़ी ।
मीना ने समझदारी से काम लिया और जमीदार के चंगुल से खुद को बचा लिया ।
nice
ReplyDeletethanks
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