आस पहाड़ की धूणी
AAS PAHAD KI DHUNI |
AAS PAHAD KI DHUNI
बदनोर से 8 किलोमीटर दूर भीलवाड़ा, राजसमंद और अजमेर जिले की सीमा पर पहाड़ों के बीच आस पहाड़ दरबार का प्राचीन शिवधाम है । अरावली की हरी-भरी पहाड़ियों में किसी दुर्लभ आस्था स्थल जैसे नजारे वाले इस स्थान से लाखों श्रदालुओं की आस्था जुड़ी है ।
मुख्य मंदिर अरावली की तलहटी में दो सौ फीट ऊंचाई पर स्थित है । सावन में हरियाली के कारण नजरा मनमोहक हो जाता है । पास में चट्टानों के बीच छोटा कुंड है । कहते हैं की इसमें कभी पानी सूखता नहीं जबकि पानी आने का स्त्रोत नजर नहीं आता । लोगों का मानना है की इस कुंड के पानी से चर्म रोगों में भी फायदा होगा है ।
AAS PAHAD DARBAR |
ऐसा भी माना जाता है कि इस मंदिर में बने धुणी के पास जाकर जो भी मन्नत मांगी जाए, वह पूरी जरूर होती है । प्राचीन धूणी एक गुफा के भीतर मौजूद हैं, जो देखने से हजारों वर्ष पुरानी प्रतीत होती है ।
आस पहाड दरबार में प्रतिवर्ष हरियाली अमावस्या को विशाल मेले और भजन संध्या का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं ।
आस पहाड दरबार के पास ही विशालकाय वटवृक्ष मौजूद है । संभवत यह बड़ राजस्थान का सबसे ज्यादा फैलाव वाला वृक्ष हो । आस पहाड़ धुनी के महंत महेंद्र पुरी के अनुसार इस बड़ जिसे पुरखा बड़ के नाम से जाना जाता है की आयु करीब 400 साल होगी । मंदिर के पास और धार्मिक महत्व होने से यह सदियों से संरक्षित है । इसके एक छोर पर तालाब है, बड़ की नई शाखाएं तालाब की तरफ नहीं बढ़कर विपरीत दिशा में फैलाव ले रही है । दूर से देखने में यह किसी विशाल बरामदे की तरह दिखता है ।
AAS PAHAD SHIV MANDIR |
वर्तमान में आस पहाड शिव मंदिर का विस्तार और जीर्णोद्धार का कार्य जारी है, यहां शिव मंदिर के साथ साथ, हनुमान मंदिर, गणेश मंदिर, राम दरबार, बाबा रामदेव जी मंदिर, भेरूजी मंदिर आदि मंदिर मौजूद है ।
आस पहाड दरबार तक जाने के लिए बदनौर से प्राइवेट वाहन किया जा सकता है, पहाड़ी क्षेत्र, और हाईवे से दूर होने के कारण बस सुविधा काफी खराब है, दिन भर में एक या दो बसे ही यहां से निकलती है ।
नजदीकी शहर बदनौर 11 किलोमीटर और ब्यावर लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ।
तो चलिए वापसी करते हैं, जल्दी ही इसी तरह के किसी नई पोस्ट के साथ लौटेंगे, धन्यवाद ।
AAS PAHAD KI DHUNI |
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