बंक्या रानी माताजी मंदिर आसींद | BANKYA RANI MATAJI MANDIR ASIND
BANKYA RANI MATAJI MANDIR ASIND
आज हम आपको बंक्या रानी माताजी मंदिर, आमेसर, आसींद के बारे में इतिहास और दर्शन संबंधी सम्पूर्ण जानकारियां देंगे ।
बंक्या रानी माताजी मंदिर आसींद वीडियो लिंक
प्रचलित लोककथाओं के आधार पर मंदिर के पुजारी व ट्रस्टी देवीलाल ने बताया कि एक बार की बात है, बकेसुर नामक राक्षस के अत्याचारों से त्रस्त होकर बंक्यामाताजी ने उसका वध करने के लिए बांके गढ़ में प्रकट हुई । बकेसुर का वध करने के पश्चात वहां से प्रस्थान कर आकाश मार्ग से जा रही थी, उसी समय प्राचीन बदनोर प्रांत के आमेसर के जंगलों में बाल गोपाल पशु चरा रहे थे, जिन्हें वे दिखाई दी और माताजी को देखकर वे चिल्ला चिल्लाकर माताजी को पुकारने लगे ।
बालकों के पुकारने पर बंक्या माताजी ने अपनी यात्रा स्थगित की और वर्तमान में स्थापित मूर्ति की जगह उतर आई । उसी जगह पर माताजी ने पाषाण का रूप धारण किया ।
एक अन्य कथा के अनुसार ईसरदास पंवार निसंतान था, माताजी ने उसको बच्चा दिया इसके बदले में ईसरदास को महिषासुर भैंसे की बलि देनी थी, लेकिन वह वादा भूल गया । जब उसका बच्चा 12 वर्ष हुआ, तब बच्चे ने कहां कि मैं बंक्यारानी के समर्पित होने जा रहा हूं और माताजी मंदिर में जाकर अपना शीश मां के अर्पित कर दिया । परिवारजन जब वहा आए तो शीश कटा हुआ सोने की थाली में पड़ा था । ईसरदास के माताजी से माफी मांगी और भैसे की बलि दी तब उसका बालक वापस जीवित हो गया ।
आज भी मंदिर के बाहर कटे हुए धड़ पर सर रखे हुए की मूर्ति लगी हुई है, हालांकि यहां शिलालेख भी है, लेकिन अब उस पर कुछ नजर नहीं आता ।
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बंक्या माताजी का यह मंदिर विशेष तौर पर भूत प्रेत टोन टोटके आदि के ईलाज के लिए जाना जाता है, यहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु प्रेत बाधा से छुटकारा पाने के लिए आते हैं, कहा जाता है कि माताजी मंदिर परिसर में आते ही भूत प्रेत आदि की बीमारी से ग्रस्त रोगी के आचार विचार में अचानक परिवर्तन आ जाता है ।
बंक्या रानी माताजी मंदिर से एक किलोमीटर दूर आमेसर रोड पर हनुमान मंदिर है । माताजी मंदिर आने वाले भक्त बिना हनुमान मंदिर दर्शन के नहीं जाते ।
नवरात्र के 9 दिन तक कई परिवार यहां पर रहते हैं । महिलाएं पैदल एक किलोमीटर दूर स्थित हनुमान मंदिर तक जाती है और वहां मौजूद कुंड में स्नान कर अपनी यात्रा पूर्ण करती है ।
बंक्यारानी माता मंदिर आसींद से 12 किमी दूर आसींद शाहपुरा रोड़ पर स्थित है । नजदीकी रेलवे स्टेशन मांडल या भीलवाड़ा मौजूद है, जहां से बस द्वारा बंक्या माताजी मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
प्रत्येक नवरात्र में यहां मेले जैसा माहौल रहता है । शक्ति स्थल पर वर्तमान में सरकार ने ट्रस्ट का गठन किया । हर साल शारदीय व चैत्र नवरात्र में यहां प्रतिदिन माता का विशेष श्रृंगार किया जाता है ।
मंदिर परिसर में भेरूजी का मंदिर भी मौजूद है ।
तो चलिए वापसी करते हैं, जल्दी ही इसी तरह की किसी नई पोस्ट के साथ वापस लौटेंगे ।
धन्यवाद ।
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